एंटी इनकम्बेंसी को कैसे प्रो इनकम्बेंसी में बदल रही BJP, कांग्रेस से कहां हो गई चूक

नई दिल्ली: एंटी इनकम्बेंसी भारतीय चुनावों में इसे एक नियम की तरह कुछ साल पहले तक देखा जाता था लेकिन केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद इसमें बदलाव देखने को मिला है। सत्ता विरोधी लहर सत्ता के पक्ष में जाती दिख रही है। 2014 के बाद के चुनावों में

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नई दिल्ली: एंटी इनकम्बेंसी भारतीय चुनावों में इसे एक नियम की तरह कुछ साल पहले तक देखा जाता था लेकिन केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद इसमें बदलाव देखने को मिला है। सत्ता विरोधी लहर सत्ता के पक्ष में जाती दिख रही है। 2014 के बाद के चुनावों में एक ऐसे शब्द की गूंज अधिक सुनाई पड़ रही है जो पहले क्रिकेट में ही सुनाई पड़ती थी। हैट्रिक... केंद्र में तो कोई सोचता नहीं था बल्कि जिन राज्यों में यह सुनाई पड़ता उसकी भी एक अलग मिसाल दी जाती थी। लेकिन हाल के वर्षों में बीजेपी ने कई राज्यों में यह करके दिखाया है। मंगलवार हरियाणा के जब नतीजे आए तो इसने सभी को चौंका दिया। हरियाणा में ऐसी जीत की उम्मीद कोई नहीं कर रहा था लेकिन बीजेपी यहां हैट्रिक लगाकर इतिहास रचने जा रही है। साथ ही साथ एंटी इनकम्बेंसी को प्रो इनकम्बेंसी में बदल दिया है।
हरियाणा के नतीजों के क्या मायने
हरियाणा के जो आज नतीजे आए हैं उस पर बात जरूरी है लेकिन उससे पहले इस बात पर भी गौर करना जरूरी है कि दुनिया के कई देशों में नेताओं और पार्टियों को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा है वहीं भारत में बीजेपी को लेकर ऐसा नहीं दिखाई पड़ रहा। इसी साल जब अप्रैल में लोकसभा के चुनाव शुरू हुए तो यह सवाल उठे कि क्या मोदी हैट्रिक लगाएंगे। नतीजों के बाद ऐसा ही हुआ बीजेपी की सीटें भले ही कम हुई लेकिन मोदी की हैट्रिक लगी।

बीजेपी सत्ता बचाने में अधिक सफल
हरियाणा में आज आए नतीजों के बाद बीजेपी ने यह बात साबित कर दिया है कि 2014 के बाद वह कांग्रेस के मुकाबले राज्यों में अपनी सत्ता बचाने में ज्यादा सफल रही है। हरियाणा में बीजेपी जीत का हैट्रिक लगाने जा रही है। दस साल से सत्ता में रहने के बावजूद बीजेपी एक बार फिर सत्ता में लौट रही है। पिछले साल के आखिरी में बीजेपी मध्य प्रदेश में दोबारा सत्ता में लौटी तो वहीं असम और यूपी में भी ऐसा ही देखने को मिला। बिहार में भी नीतीश कुमार के साथ वापसी हो चुकी है। इन सबके बीच गुजरात को भी नहीं भूला जा सकता है, जहां पार्टी 1995 से सत्ता में है।

पीएम मोदी भी कर चुके हैं इसका जिक्र
कर्नाटक, हिमाचल जैसे कुछ राज्य उसके हाथ से जरूर फिसले हैं लेकिन बावजूद इसके बीजेपी एंटी इनकम्बेंसी को प्रो इनकम्बेंसी में बदल रही है। वहीं कांग्रेस महज पांच साल की सत्ता के बाद ही अपने राज्यों को खो रही है। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में ऐसा देखने को मिला। इतना ही नहीं कांग्रेस बीते 14 वर्षों में एक भी राज्य में सरकार बचाने में सफल नहीं रही। इस मामले में BJP का रिकॉर्ड 50 फीसदी से भी अधिक का रहा है। इसी बात का जिक्र पीएम मोदी भी कर चुके हैं। लोकसभा चुनाव 2014 से पहले मोदी ने संसदीय दल की मीटिंग में प्रो-इनकंबेंसी पर विस्तार से बात की थी। उन्होंने आंकड़ों के साथ यह बताया था कि राज्यों में BJP की सरकार रिपीट होने का रिकॉर्ड 58 फीसदी है तो कांग्रेस की सरकार केवल 18 फीसदी ही रिपीट होती है।

2014 के बाद कांग्रेस की सरकार न हो सकी रिपीट
बीजेपी ऐसा कई राज्यों में कर चुकी है। राजनीति हो या खेल जो जीतता है उसी का सिक्का चलता है। ऐसा नहीं कि हार के बाद नेतृत्व पर सवाल नहीं उठते। अभी हाल ही में लोकसभा में सीटों का कम होना और उपचुनाव में हार के बाद सवाल उठने लगे कि मोदी का जादू कम होने लगा है लेकिन आज आए हरियाणा के नतीजों से फिर यह डंके की चोट पर कहा जाएगा कि मोदी के खिलाफ सत्ता विरोधी कोई लहर नहीं है। न केंद्र में और न ही राज्यों में। एक ओर बीजेपी ऐसा कर रही है तो वहीं 2014 के बाद से कहीं किसी चुनाव में कांग्रेस ऐसा करने में कामयाब नहीं हो सकी है।


बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस पीछे क्यों
पंजाब में वह सत्ता में थी वहां उसे सत्ता गंवानी पड़ी। छत्तीसगढ़ में यह माना जा रहा था कि यहां तो कांग्रेस दोबारा सत्ता में लौटेगी। लेकिन भूपेश बघेल चुनाव हार जाते हैं। राजस्थान में भी कांग्रेस ऐसा नहीं कर सकी। हरियाणा में इस बार सभी एग्जिट पोल कांग्रेस की जीत दिखा रहे थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। राजनीति के जानकारों का मानना है कि कांग्रेस पार्टी चुनावों में बड़े कदम उठाने से हिचकती है। वहीं बीजेपी अपने सीएम चेहरे को भी बदलने में देर नहीं करती। वहीं कांग्रेस राज्य के मजबूत नेता के दबाव में आ जाती है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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